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हवा के झोंके ने फिर से पन्नों को सहलाया,

एक तो हुस्न कयामत उसपे होठों का लाल होना।

झुकाकर पलकें शायद कोई इकरार किया उसने,

तुम्हारे लब को छूने का इरादा रोज करता हूँ,

रास्ते पर तो खड़ा हूँ पर चलना भूल गया हूँ।

वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।

क़यामत देखनी हो अगर चले जाना किसी महफ़िल में,

जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता।

तुमको याद रखने में मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ,

वो किताबें भी जवाब माँगती हैं जिन्हें हम,

अब तक सबने बाज़ी हारी इस दिल shayari in hindi को रिझाने में,

यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता,

खुदा की तरह चाहने लगे थे उस यार को, वो भी खुदा की तरह हर एक का निकला।

मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।

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